जी हा, में वही हिंदुस्तान हूँ जिसके हजारो नाम है ….
में द्रष्टिकोण हु प्राचीन और अर्वाचीनका
में गवाह हु रामायण और महाभारत का
मेरे सीने में कुरुक्षेत्र है तो कही हल्दी घाटी है,
मेरे वहा मासूम सीता भी थी तो
कही खूब लड़ी मर्दानी वाली रानी झांसी की भी थी
मेरे वहा महात्मा गाँधी भी पैदा हुआ है
तो उसी दौरान गरम खून आज़ाद का भी रोंग रहा था
मेने मोगलो को जलेबिया खिलाई है
तो इधर अंग्रेजो को बहुत बड़ी धूल चटाई है
कभी मेने अपने सीने पे दरार बनायीं है
तो कभी उसी दरार को प्यार के मरहम से भरने की कोशिश की है
मेरे वहा त्योहारो को सजाया गया है
तो कभी आतंक को ख़ामोशी से मनाया गया है
कभी गोली सुवर्ण मंदिर में चली है
तो कभी गणतंत्र के प्रतिक संसद पर.
मेरे बच्छो ने शांतिदूत बनके दुनिया में मोहब्बत पायी है,
तो कभी अग्निदुत बनके दुनिया को शहादत शिखाई है.
जब मेरे वहाँ फ़ौज़ का कप्तान गोविन्द सिंह जब गिरता हैं, तब उसे इमाम हुसैन उठता है और पानी राम दशरथ पिलाता है!
इन सब बातो का कोई चश्मदित गवाह कोई है तो वह में हु……
क्योंकि, में ही हूँ हिंदुस्तान और ये जो थी वह थी मेरी दास्तान!!!!!!
जय हिन्द
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