Monday, August 13, 2018

में सिपाही हिंदुस्तानका



बड़े अदब से खड़ा हूँ देश की सरहद पर,सीना ताने खड़ा हूँ मेरे देश की सीमा पर!

न डर है किसी के नापाक इरादे का,न बल है किसी में मुझे झुकाने का,

में जागते जागते ही सपने सजोये बैठा हूँ में अपने दिल में हिन्दुस्थान बनाये बैठा हूँ!


कल्पोसे  खड़ा चट्टानोंभरा हिमालय ही मेरा पिता है जहा पैर सम्भलते मेरे वो भूमि वो धरती मेरी माता है.अलग अलग दिशाऔ में फैले हर पर्वत मेरे भाई है हर उद्गमसे बहती सब नदिया भी मेरी माताए है!


मेरे देश में बोली जाने वाली हर भाषा मेरी आवाज़ है,बसती हुई हजारो जातिया ही मेरा मान सन्मान है,

सिपाही सिर्फ में बन्दुक से नहीं हिन्द के हर अल्फ़ाज़ से हूँ १३० करोड़ देशवासी साथ मेरे, में उनके ही आगाज़ से हूँ !


बड़े अदब से खड़ा हूँ देश की सरहद पर,सीना ताने खड़ा हूँ मेरे देश की सीमा पर!!


- Mihir Upadhyay

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